हवा में नाचते बगीचे में
कहीं एक फूल टूट कर गिर गया।
टहनियों ने शायद कुछ देर निहारा होगा,
कहा होगा बेचारा अधखिला ही रह गया।
फिर वापस हवा से बातें करने लगीं होंगी,
भूल कर उसे जो अब बोल नहीं सकता।
बाग़ में हर ओर कई फूल सजे हैं।
रंगों की इस भीड़ के बीच कहीं,
एक और सुगंध, एक और उमंग,
खिलने से पहले ही घुट कर दम तोड़ गई।
Monday, June 02, 2008
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